अवैध कब्जा धारकों की अब खैर नहीं करना होगा हर हाल में कब्जा खाली

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अगर आपके मकान या जमीन पर किसी ने किसी भी प्रकार का कोई अवैध कब्जा कर लिया है तो अब आपको अदालत जाने की जरूरत नहीं है अब आप बलपूर्वक ही उस कब्जे को खाली करवा सकते हैं कानून आपके साथ होगा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले में कहा गया है कि अगर आपके पास आपकी प्रॉपर्टी आपके नाम पर है तो आप बलपूर्वक अपनी प्रॉपर्टी को खाली करवा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट में दायर एक मुकदमा पुनाराम बनाम मोतीराम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट कर एक नया इतिहास बना दिया गया है जो कि प्रॉपर्टी धारकों के हित में काफी सराहनीय कार्य माना जाता है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर प्रॉपर्टी आपके नाम पर है तो समय भले ही कितना हो गया हो चाहे 12 साल या 15 साल प्रॉपर्टी आपकी ही रहेगी हर हालत में कब्जा धारक को उसे खाली करना पड़ेगा एक्ट 1963 रिलीफ एक्ट बनाया गया है प्रॉपर्टी से गैरकानूनी कब्जा हटाने के लिए धारा पांच के तहत प्रावधान किया गया है हाला की प्रॉपर्टी पर गैर कब्जा का प्रावधान होते ही टाइटल धारक को सबसे पहले उस प्रॉपर्टी पर स्टे ले लेना चाहिए ताकि कब्जा करने वाला व्यक्ति ना उस प्रॉपर्टी को किसी को भेज सकें और ना ही उस पर अवैध निर्माण कर सके भारत की धारा पांच के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति आपकी उस प्रॉपर्टी के ऊपर कब्जा कर लेता है और अगर वह आपके पास है तो आप गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर लिया है तो उसे खाली करवाने के लिए आपको सिविल प्रक्रिया संहिता यानी सीपीसी के तहत एक मुकदमा दायर करना होगा जिसके बाद आसानी से आप की प्रॉपर्टी खाली हो जाएगी

पुनाराम बनाम मोतीराम का यह था पूरा मामला

पुनाराम राजस्थान के बाड़मेर जिले का रहने वाला था उसने वर्ष 1966 में एक जागीरदार से एक जमीन खरीद ली थी जो एक जगह नहीं बल्कि कई अलग-अलग जगहों पर थी उस जमीन का मालिकाना हक की जब बात आई तो सामने यह आया कि उस जमीन पर मोती राम नाम के एक शख्स ने अवैध कब्जा कर लिया है जबकि मोतीराम के पास जमीन के कोई भी कानूनी दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे इस बात को लेकर पूनाराम ने जमीन पर कब्जा पाने के लिए कोर्ट में एक केस दायर किया इस मामले में केस के दौरान पुनाराम के पक्ष में फैसला सुनाया गया और मोतीराम को कब्जा खाली करने का आदेश दिया गया इसके बाद मोतीराम ने इस मामले की अपील राजस्थान के हाई कोर्ट में कि इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपना फैसला करते हुए निचली अदालत का फैसला पलट दिया और मोतीराम के कब्जे को बहाल कर दिया फिर इसके बाद पूनाराम ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट में इसकी अपील कर दी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनाराम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि जमीन का टाइटल रखने वाला व्यक्ति ही उसका असली मालिक होगा तथा बलपूर्वक उसे खाली भी करवा सकता है इस मामले में मोतीराम ने अपनी दलील दी कि उस जमीन पर उसका कब्जा 12 सालों से ज्यादा समय से रहा है लिमिटेशन एक्ट की धारा 64 कहती है कि अगर जमीन पर किसी का कब्जा 12 साल से ज्यादा समय से हो गया है तो उस जमीन को खाली नहीं कराया जा सकता है हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए मोतीराम की इस दलील को खारिज कर दी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून उन मामलों में लागू होता है कि जिन जमीनों का मालिक कोई नहीं होता है लेकिन इस जमीन का मालिक तो अभी मौजूद है और उसके पास उसका मालिकाना हक है टाइटल भी उसके पास है तो भले ही उसके 12 साल हो चुके हैं यह जमीन उसी को दी जाएगी जिसके पास इसका टाइटल है

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