
महाराष्ट्र में गठबंधन के लिए जब किसी की मध्यस्थता की जरूरत लगी तब एक सीनियर नेता की आवश्यकता पड़ने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का सहारा लिया गया कहा जाता है कि जब गठबंधन के लिए बातचीत चल रही थी तब बीच में जो गतिरोध पैदा हुए उसके बीच वरिष्ठ नेताओं में असहमति हुई तब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फोन कॉल के जरिए मध्यस्थता कराई और इसके बाद भी कमलनाथ ने ही कांग्रेस के शीर्ष के नेताओं के साथ कई बार विचार विमर्श करके मध्यस्थता के लिए कई तरह की बैठकें की और इस बात पर भी काफी जोर दिया कि शिवसेना के साथ किसी भी हालात में बीजेपी की सरकार ना बन पाए और इस बात के लिए हर प्रकार की विचारधारा को अपनाया जाए ताकि किसी भी हालत में बीजेपी और शिवसेना की बात ना बन पाए कांग्रेस और शिवसेना का गठबंधन हो जाए जो कि आगे भी हर मुसीबत में काम आए कांग्रेश और शिवसेना की विपरीत विचारधारा को एक साथ गठबंधन के लिए जोड़ पाना काफी मुश्किल की बात मानी जाती थी मगर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ में कई अहम बैठकें कर इस काम को अंजाम दिया बताया यह भी जाता है कि जब गठबंधन के लिए बीच में बातचीत चल रही थी तब मुख्यमंत्री कमलनाथ में अहम भूमिका अदा की आमतौर पर कांग्रेसो शिवसेना के साथ हुए गठबंधन के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं थी तब एनसीपी की सुप्रीमो शरद पवार की कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ 11 नवंबर को हुई बैठक के बाद भी कोई भी तस्वीर साफ नहीं हो पाई थी इसके बाद कमलनाथ के करीबी और मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता ने बताया किसी डब्लू सी की बैठक के बाद शिवसेना के साथ गठबंधन की सभी उम्मीदें लगभग समाप्त हो चुकी थी तथा इसके बाद भी महाराष्ट्र के चुनावी समर के समय कांग्रेस के सभी नेता उस मीटिंग में मौजूद थे तथा वही कांग्रेश पर शिवसेना के विधायक दूरी बनाते हुए जयपुर रिसोर्ट में रुके हुए थे सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है कि कमलनाथ ने उद्धव ठाकरे से भी कई बार फोन पर बातचीत हुई तथा अपने कुछ विशेष सहयोगी यों को उनसे मुलाकात के लिए भी भेजा तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इच्छा जताने की सहमति दी बात बनती चली गई और अंत में सफलता भी मिली मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मेहनत भी रंग लाई
