‘शिकारा: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीरी पंडित’ के रिलीज पहले ही फिल्म पर रोक लगाने के लिए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में लगाइ याचिका

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कोई भी फिल्म बनते ही उस पर विवाद आ जाए तो उस फिल्म को लोग और लगन से देखने की कोशिश करते हैं ऐसा ही वाकया विधु विनोद चोपड़ा की आने वाली फिल्म शिकारा दा अनटोल्ड स्टोरी ऑफ  कश्मीरी पंडित पर आया है यह फिल्म अभी रिलीज भी नहीं हुई कि कश्मीर के ही कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस पर विवाद करना शुरू कर दिया है इन लोगों का मानना है कि इस फिल्म में सच्चाई नहीं दिखाई गई है कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी यह फिल्म शिकारा को लेकर कश्मीर के लोगों ने इस फिल्म को लेकर कश्मीर के अदालत में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि इस फिल्म में मूल तत्वों से छेड़ कर इस फिल्म को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा पर आरोप लगाते हुए कहा है

कि इस फिल्म को जम्मू एंड कश्मीर में बैन किया जाए इस फिल्म का जम्मू एंड कश्मीर में प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की याचिका को अदालत में दया की है तथा जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इस फिल्म का आम कश्मीरियों को गलत तरीके से दिखाया गया है इस फिल्म में 1989 के अंत और 1990 की शुरुआत में कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी को फिल्म में दर्शाया गया है और इस फिल्म को खुद कश्मीरी पंडितों की व्यथा को सुनने के बाद इस कहानी के लेखक अशोक पंडित ने भी दावा किया है

 कश्मीरी पंडितों पर फिल्म बनाना और बहुसंख्यक आबादी पर सवाल नहीं उठाना जो आतंकवादियों के समर्थन में निकले थे। 19 जनवरी को। को क्लीन चिट देने जैसा है।
पीड़ितों और आतंकवादियों द्वारा पीड़ित को गले लगाने के लिए खेद व्यक्त करना पीड़ित एक बड़ी चुनौती है और असंभव है।

कि इस फिल्म में एक एक बात तथ्यों पर आधारित और सच्चाई से भरी हुई है और पंडित ने भी अपने ट्वीट में कहा है कि मैं खुद एक कश्मीरी पंडित हूं और इस बात की सच्चाई मेरे से ज्यादा कौन जान सकता है कि जो मैंने और मेरे परिवार ने उस समय वहां पर जो भोक्ता था इस फिल्म में किसी भी तरह की कोई सत्य के तरफ से किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है यह फिल्म एकदम सत्य घटनाओं पर आधारित है

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