प्रदेश में करीब तेरह हजार स्कूलों को बंद कर सरकार एक हजार करोड़ बचाएगी। इसके लिए प्रदेश भर में समीक्षा शुरू हो गई है। राज्य शिक्षा केंद्र ने एक आदेश जारी कर जिले के अधिकारियों से कहा कि उन स्कूलों की समीक्षा की जाए जहां छात्रों की संख्या 0 से 20 है। ऐसे स्कूलों को समीप के स्कूलों में मर्ज कर शिक्षकों की सेवाएं कार्यालय या फिर अन्य स्कूलों में ली जाएं। राज्य शिक्षा केंद्र की सूची में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर संभाग के जिलों में सबसे ज्यादा स्कूल बंद होने की संभावना है। प्रदेश में प्राइमरी स्कूल संचालित करने में दो शिक्षक आवश्यक होते है। साथ ही रखरखाव व मरम्मत कार्य के लिए करीब तीस हजार रुपए की राशि दी जाती है। एक शिक्षक का वेतन औसतन तीस हजार के आसपास है। इस तरह प्रतिमाह दो शिक्षकों को वेतन 60 हजार औसतन होता है। इसमें मरम्मत कार्य व रखरखाव की राशि जोडऩे के बाद सालभर में करीब एक प्राइमरी स्कूल पर औसतन आठ लाख की राशि खर्च होती है। 12 हजार 876 स्कूल बंद करने पर यह राशि एक हजार करोड़ के आसपास होगी। हालांकि स्कूल बंद करने के पीछे शिक्षा की क्वालिटी पर ध्यान नहीं देना है। प्रदेश में अभी तक एक भी ऐसा एक स्कूल नहीं है, जो बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में बड़े स्कूलों को टक्कर देता हो।
देवास 18, शिवपुरी 16, उज्जैन 19, इंदौर 10, धार 21, खरगोन 27,सागर 48, दमोह 27, पन्ना 27 सहित अन्य जिलों में भी शून्य छात्र संख्या वाले स्कूल बंद होंगे।