राम लला के मंदिर के लिए अष्टधातु से बन रहा है 2.1 टन बजनी घंटा जिसकी आवाज 15 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी

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उत्तर प्रदेश के कारीगरों की एक टीम अयोध्या के राम मंदिर के लिए 2.1 टन (2100 किलो) वजनी घंटा बना रही है। प्रदेश के एटा जिले के जालेसर कस्बे में हिंदू और मुस्लिम कारीगर मिलकर इस काम को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। कारीगरों का दावा है कि इस घंटे की आवाज 15 किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकती है। कारीगर राम मंदिर के लिए  बनाए जा रहे घंटे को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। इस काम को दाऊ दयाल (50) और इकबाल मिस्त्री (56) ने अपने हाथों में लिया है। दयाल ने बताया कि जब आप इस आकार के घंटे को बनाते हैं, तो चुनौतियां भी होती हैं। ऐसे में आप एक छोटी सी गलती की भी उम्मीद नहीं कर सकते। जालेसर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के चेयरमेन और वर्कशॉप (जहां घंटा बनाया जा रहा है) के मालिक विकास मित्तल ने बताया कि घंटे का निर्माण अष्टधातु से किया जा रहा है। इसमें सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, लेड, टिन और मरकरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस पुनीत कार्य में 25 लोगों की टीम जुटी हुई है। इससे पहले दयाल उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के लिए भी 101 किलो का घंटा बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह अब तक का सबसे भारी घंटा है, जिस पर हम काम कर रहे हैं। हम उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के लिए भी 1000 किलो का घंटा बना चुके हैं। स्कूल के लिए घंटियां बनाना उनके बिजनेस का हिस्सा है। उनका दावा है कि जालेसर की मिट्टी में बने घंटे की आवाज अन्य से बेहतर होती है।

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