भारतीय बाजारों का आकर्षण फिर विदेशी विनिवेशकों में बढऩे लगा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अगस्त के पहले सप्ताह में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय कैपिटल मार्केट में 8327 करोड़ रुपए निवेश किए हैं। ए सपर्ट का कहना है कि भारत की बड़ी कंपनियों का तिमाही नतीजे उमीद से बेहतर रहे हैं। इससे बड़ी कंपनियों के शेयरों में एक बार फिर हलचल बढऩे लगी है। इसी वजह से एफपीआई ने भी अपना निवेश भी बढ़ाया है। बता दें कि एफपीआई मिडकैप और स्मालकैप की बजाए लॉर्जकैप शेयरों में पैसा लगाना पसंद करते हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 3 से 6 अगस्त के दौरान विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 7,842 करोड़ रुपये डाले, जबकि डेट बाजार में उनका निवेश 485 करोड़ रुपये रहा। इस तरह उनका कुल निवेश 8,327 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इससे पहले के 2 महीनों में भी विदेशी निवेशक नेट बॉयर रहे हैं। एफपीआई ने जुलाई में 3301 करोड़ रुपये और जून में 24053 करोड़ रुपए का निवेश किया है। लॉर्जकैप शेयर हुए लोकप्रिय ग्रो के और सीओओ हर्ष जैन का कहना है कि लॉकडाउन और कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बावजूद भारत की बड़ी कंपनियों ने जून तिमाही में उमीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। इसी वजह से एफपीआई ने भी लॉर्जकैप कंपनियों में अपना निवेश बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियों के शेयरों की लोकप्रियता बढ़ रही है। वहीं, लगातार बढ़ रही लिक्विडिटी ने दुनियाभर के इक्विटी बाजारों को सपोर्ट किया है। जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरे टररिस र्च, हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि बाजार में एफपीआई द्वारा निवेश के पीछे कई फै टर हैं। चीन, अमेरिका और यूरोप से आने वाले बेहतर आर्थिक आंकड़ों ने ग्लोबल लेवल पर जोखिम लेने की क्षमता बढ़ाई है, जिससे रिकवरी की उमीदों को मजबूती मिली है। दूसरी तरफ, घरेलू स्तर पर कई बड़ी लॉक डील हुई हैं, जिसमें कंपनी प्रबंधन, प्रमोटर्स और दिग्गज नामों ने खरीद-फरोत की है. विदेशी निवेशकों ने कई बड़े नामों में हिस्सेदारी खरीदी, जिसमें बंधन बैंक शामिल रहा।
भारत में विदेशी निवेश की रफ्तार बड़ी 4 दिन में 8327 करोड रुपए आए
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