अगर ऑक्सीजन की कमी नही तो बिना ऑक्सीजन कैसे हो रही मरीजों की मौत

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प्रदेश सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी नही है जितनी मांग है ऑक्सीजन उससे ज्यादा मात्रा में उपलब्ध है ऐसी स्थिति में सवाल ये उठता है कि अगर मांग से ज्यादा ऑक्सीजन उपलब्ध है तो फिर ऑक्सीजन को लेकर राज्य में इतना हाहाकार क्यों मचा हुआ है। सरकार का कहना है कि 643 टन ऑक्सीजन की स्वीकृति राज्य को केन्द्र सरकार से है इसके अलावा 02 हजार कंसन्टेटर की खरीद राज्य सरकार ने खुद की है। सरकार के दावे से हटकर बीते 15 दिनों में अलग-अलग शहरों में 60 लोगों ने ऑक्सीजन के अभाव के कारण दम तोडा। प्राण वायु की कमी के चलते कई अस्पतालों ने तो मरीजों को भर्ती करने से तक मना कर दिया है। सीहोर अस्पताल में गुरुवार को बेडफुल का बोर्ड लगा था तो शुक्रवार को भोपाल ऐम्स ने भी ऐसा ही बोर्ड लगा दिया। जबलपुर के गैलेक्सी अस्पताल में तो गुरुवार देर रात करीब 1 बजे के आस-पास ऑक्सीजन खत्म होने से आईसीयू में भर्ती 5 कोरोना मरीजों की दम घुटने से मौत हो गई।दो मरीजों की हालत अब गंभीर है। घटना के दौरान अस्पताल में 65 मरीज भर्ती थे। अस्पताल का स्टाफ तो व्यवस्था संभालने के बजाए मरीजों को तडपते हुए छोडकर भाग गया।आखों के सामने अपनी सांसे टूटते देख अस्पताल में चीख-पुकार मच गई।मरीजों के परिजन रास्ते में आकर हंगामा करने लगे।तब पुलिसवाले देवदूत बनकर अस्पताल में पहुचे और कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाकर किसी तरह व्यवस्था बनाई गई। उस समय अस्पताल में कोरोना के 65 मरीज मौजूद थे।34 मरीज आईसीयू में थे। 26 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। ऑक्सीजन खत्म होने से मरीजों की जान संकट में पड गई।मौके पर पहुंची पुलिस ऑक्सीजन सिलेंडर तलाशकर लाई। उसके बाद ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल हुई।

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