अयोध्या नव्य मंदिर में विराजमान प्रभु श्रीराम के दर्शन करने आने वाले भक्तों के माथे पर अब तिलक नहीं लगेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गर्भगृह के पुजारियों को ऐसा करने से रोक दिया है। इसके साथ ही चरणामृत देने पर भी पाबंदी लगा दी है। पुजारियों की दक्षिणा भी दानपेटी में डाली जाएगी। ट्रस्ट के इस निर्णय से पुजारियों में रोष है। मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने पुष्टि करते हुए कहा कि ट्रस्ट के निर्णय का पालन किया जाएगा। रामनगरी अयोध्या में 22 जनवरी के बाद से ही भव्य मंदिर में विराजमान रामलला के दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वह श्रीराम के दर्शन के साथ उनके अति करीब जाकर पूजन करने को उत्सुक रहते हैं। साधारण दर्शन करने वाले भक्तों को बैरिकेडिंग के पास से दर्शन कराए जाते हैं, लेकिन वीआइपी दर्शन करने वाले भक्तों को कुछ और निकट से रामलला के दर्शन का अवसर मिलता है। यहां पुजारी श्रद्धालुओं के मस्तक पर चंदन लगाते हैं और चरणामृत देते हैं। भक्तगण पुजारियों को दक्षिणा भी देते हैं। इससे पुजारियों को वेतन के अतिरिक्त आय हो जाती थी। ट्रस्ट ने गर्भगृह में रहते हैं मुख्य अर्चक समेत दो दर्जन से अधिक पुजारी गर्भगृह में मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास सहित दो दर्जन से अधिक पुजारी रहते हैं। ये अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं। इनमें पांच पुराने व 21 नए सहायक अर्चक हैं। । मुख्य अर्थक को ट्रस्ट प्रतिमाह 35 हजार और सहायक अर्चकों को 33 हजार रुपये देता है।तत्काल प्रभाव से रोकते हुए, पुजारियों से कहा है कि भक्तों के माये पर न तो चंदन लगाएं और चरणामृत भी न दें। कोई भक्त दक्षिणा दे तो उसे स्वयं न लेकर दानपेटी में डलवाएं। मुख्य अर्थक आचार्य सत्येंद्रदास ने बताया कि ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र ने उन्हें व अन्य पुजारियों को चंदन लगाने और दक्षिणा लेने से रोका है। ट्रस्ट का निर्णय है तो जरूर पालन होगा।
अयोध्या में राम भक्तों के माथे पर अब नहीं लगेगा चंदन, चरणामृत भी नहीं वीआइपी कल्चर भी बंद
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