
||नई दिल्ली/वाराणसी/हरिद्वार||जब देशभर से लाखों लोग धर्मस्थलों की ओर श्रद्धा लेकर जाते हैं, तब कुछ साइबर अपराधी इसी श्रद्धा को अपना हथियार बना लेते हैं। हाल के महीनों में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को निशाना बनाकर की जा रही साइबर ठगी के मामलों में चौंकाने वाली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ये घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती हैं, बल्कि समाज की नैतिकता पर भी गहरी चोट हैं। कई नामी मंदिरों और धार्मिक ट्रस्टों के नाम पर हूबहू दिखने वाली वेबसाइट्स और ऐप्स तैयार किए जा रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर ‘VIP दर्शन पास’, ‘ऑनलाइन पूजा बुकिंग’, ‘विशेष अभिषेक सेवा’, और ‘सस्ती होटल बुकिंग’ जैसी सेवाएं ऑफर की जाती हैं। लोग जैसे ही पेमेंट करते हैं, सेवा तो मिलती नहीं — उल्टा पैसे भी चले जाते हैं और संपर्क साधने का कोई रास्ता नहीं रहता। गूगल मैप्स और सर्च इंजन में नकली एजेंसी के नंबर अपडेट कर दिए जाते हैं। जब श्रद्धालु कॉल करता है, तो सामने वाला व्यक्ति स्वयं को मंदिर कर्मचारी, ट्रैवल एजेंट या ‘पंडा’ बताता है, फिर QR कोड भेजकर या फर्जी UPI लिंक के जरिए पैसा ट्रांसफर करवा लेता है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर तीर्थ यात्रा पैकेज, दर्शन पास और रियायती होटल ऑफर्स के नाम पर फर्जी लिंक भेजे जा रहे हैं। इन लिंक पर क्लिक करते ही स्पाईवेयर या ट्रोजन जैसे सॉफ्टवेयर मोबाइल में इंस्टॉल हो जाते हैं, जो बैंकिंग ऐप्स का डेटा चोरी कर लेते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से आई एक बुजुर्ग महिला ने ‘काशी विश्वनाथ दर्शन’ के लिए 3,000 रुपये एक वेबसाइट पर दिए। न दर्शन हुआ, न संपर्क बना। झारखंड के एक परिवार ने ‘वैष्णो देवी यात्रा’ के लिए व्हाट्सएप पर मिले लिंक से बुकिंग की और 14,000 का नुकसान झेला। साइबर सेल की मानें तो ये संगठित गिरोह हैं, जिनके तार देश के कई राज्यों से जुड़े हैं — खासतौर पर झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों से। कई गिरोह वॉयस मॉड्युलेशन तकनीक, वर्चुअल नंबर और फेक KYC डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है। आस्था की यात्रा अब जोखिम भरी होती जा रही है। श्रद्धालु अब केवल जेब में पैसा लेकर नहीं, मोबाइल और डेटा की सुरक्षा को लेकर भी सजग रहें। वरना यात्रा तो होगी, परंतु अनुभव केवल धोखे का रह जाएगा।
साइबर ठगी से बचाव के उपाय
- केवल आधिकारिक वेबसाइट और ऐप का इस्तेमाल करें
मंदिर, ट्रस्ट या ट्रैवल सेवा की बुकिंग के लिए केवल सरकारी या मान्यता प्राप्त वेबसाइट से ही लेनदेन करें। वेबसाइट का URL ध्यान से देखें – वह https:// से शुरू हो और उसमें असली नाम की सही वर्तनी हो।
2. QR कोड स्कैन करने से पहले सतर्क रहें
किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजा गया QR कोड स्कैन न करें। QR कोड स्कैन करने से पैसा निकल भी सकता है — सिर्फ भेजा नहीं जा सकता।
3.OTP, बैंक डिटेल या पासवर्ड किसी को न दें
बैंक, ट्रस्ट या मंदिर के कर्मचारी कभी भी फोन पर OTP या पासवर्ड नहीं मांगते। ऐसे कॉल आने पर तुरंत फोन काटें और 1930 पर शिकायत करें।
4.गूगल सर्च या मैप्स पर दिए नंबर पर आंख मूंदकर विश्वास न करें
किसी भी नंबर पर कॉल करने से पहले उसकी वैधता क्रॉस चेक करें। ऑफिशियल वेबसाइट या सोशल मीडिया हैंडल पर नंबर मिलाएं।
5. सोशल मीडिया पर फर्जी लिंक और ऑफर्स से बचें
499 में तीर्थ यात्रा’, ‘Buy 1 Get 1’ जैसे ऑफर्स अक्सर जालसाजी होते हैं। किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें — यह मोबाइल को हैक कर सकता है।
6.भुगतान से पहले स्क्रीनशॉट और रसीद लें
किसी भी पेमेंट के समय पेमेंट का स्क्रीनशॉट और ट्रांजैक्शन ID सुरक्षित रखें। भविष्य में शिकायत या रिकवरी के लिए यह जरूरी हो सकता है।
7.साइबर अपराध की तुरंत रिपोर्ट करें
ठगी होने पर 24×7 हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुरंत कॉल करें। साथ ही www.cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
8.बुजुर्ग और कम तकनीकी ज्ञान रखने वाले यात्रियों को जागरूक करें
परिवार के बुजुर्गों या ग्रामीण यात्रियों को मोबाइल, QR कोड और ऑनलाइन बुकिंग के प्रति सजग बनाएं। यदि वे खुद बुकिंग नहीं कर सकते तो किसी भरोसेमंद व्यक्ति से मदद दिलाएं।
