
||भोपाल||: पत्नी प्रताड़ना और वैवाहिक उत्पीड़न के शिकार पुरुषों ने शुक्रवार को भोपाल के नाइन मसाला होटल में आयोजित एक प्रेस वार्ता में अपनी आपबीती साझा करते हुए पुरुषों के लिए विशेष न्यायालय की स्थापना की मांग की। ‘वैवाहिक आतंकवाद’ विषय पर केंद्रित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन वॉच लीग की चंदना अरोरा ने किया था। कार्यक्रम में प्रदेशभर से आए पत्नी प्रताड़ित पुरुषों ने भाग लिया और अपने-अपने दर्दनाक अनुभव सुनाए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों तक पीड़ित पुरुषों की आवाज पहुँचाना था। आयोजकों का कहना है कि मौजूदा कानूनों का दुरुपयोग कर कई पुरुषों को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है, जिससे उनकी सामाजिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। वॉच लीग की संयोजक चंदना अरोरा ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि पत्नी द्वारा कानूनी प्रताड़ना और झूठे आरोपों के चलते पतियों की आत्महत्या के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा, “वैवाहिक विवाद अब महज पारिवारिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि कई मामलों में यह आतंकवाद जैसा स्वरूप ले चुका है।” चंदना ने मांग की कि ऐसे अपराधों को ‘वैवाहिक आतंकवाद’ के रूप में परिभाषित किया जाए और इसके लिए अलग से सख्त कानून बनाए जाएं। उन्होंने बताया कि हाल ही में आत्महत्या और हत्या के कई मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पुरुष भी घरेलू हिंसा और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर शिकार हो सकते हैं।
मुख्य बिंदु जिन पर रही चर्चा:
धमकाना और ब्लैकमेलिंग: वैवाहिक जीवन में पत्नी द्वारा पति को धमकाने या झूठे मामलों में फँसाने की घटनाओं पर सख्त कानून बनाए जाएं।
पति व ससुराल पक्ष पर क्रूरता: पत्नी द्वारा पति या उसके परिवारजनों पर की गई मानसिक और शारीरिक क्रूरता के मामलों में भी सख्त धाराओं का प्रावधान हो।
अनुचित मांगें: संपत्ति, घर और पैसे जैसी अवैध माँग करने के मामलों में पुरुषों को कानूनी संरक्षण मिले।
पीड़ित पुरुषों ने बताया कि कई निर्दोष लोग अकेले ही देश की कानून व्यवस्था, पुलिस और न्यायपालिका की विशाल मशीनरी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। उनके पास अक्सर न तो पर्याप्त संसाधन होते हैं और न ही कोई मजबूत कानूनी संरक्षण। प्रेस वार्ता के दौरान कई पुरुषों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि झूठे मुकदमों के चलते वे न केवल अपनी आजीविका और सामाजिक सम्मान खो चुके हैं, बल्कि मानसिक अवसाद का भी शिकार हो गए हैं। देशभर में पुरुष अधिकारों के लिए काम कर रहे संगठनों की सक्रियता भी बढ़ रही है। वॉच लीग जैसे संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि महिलाओं के संरक्षण के लिए बने कानूनों का दुरुपयोग न हो और पुरुषों को भी समान संरक्षण और न्याय मिले।
