
राजस्थान की राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ इलाके में सोमवार रात एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने पूरे शहर को सदमे में डाल दिया। कांग्रेस नेता और फैक्ट्री मालिक उस्मान खान ने शराब के नशे में अपनी तेज रफ्तार SUV से सड़क किनारे चल रहे पैदल यात्रियों और अन्य वाहनों को रौंद दिया। इस भीषण दुर्घटना में तीन निर्दोष लोगों की जान चली गई, जबकि छह अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रात करीब 10 बजे, उस्मान खान तेज रफ्तार से वाहन चलाते हुए नियंत्रण खो बैठा और कई लोगों को कुचलता चला गया। घटनास्थल पर अवधेश पारीक और ममता देवी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य घायल ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया। घायलों को नजदीकी सवाई मान सिंह अस्पताल और अन्य चिकित्सा केंद्रों में भर्ती कराया गया है, जहां कुछ की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है। स्थानीय लोगों ने तुरंत हरकत में आते हुए आरोपी की गाड़ी को घेर लिया और भीड़ ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंप दिया। इस दौरान गुस्साई भीड़ ने जमकर नारेबाजी भी की और पुलिस प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। पुलिस द्वारा मौके पर ही उस्मान खान का प्राथमिक मेडिकल परीक्षण कराया गया, जिसमें पुष्टि हुई कि वह शराब के नशे में था। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (उत्तर) बजरंग सिंह ने जानकारी दी कि आरोपी के खिलाफ हत्या और लापरवाह ड्राइविंग की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। इस भयावह घटना के बाद पूरे इलाके में भारी तनाव फैल गया। स्थानीय निवासियों ने नाहरगढ़ थाने के बाहर प्रदर्शन करते हुए आरोपी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की। विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर इस घटना को “शर्मनाक और हृदयविदारक” बताया और पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की मांग की। बीजेपी नेताओं ने इसे सत्ता संरक्षण का नतीजा बताया और मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े किए। राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच दल (SIT) के गठन का ऐलान किया है और यह वादा किया है कि दोषी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। जयपुर पुलिस ने आरोपी की संपत्ति और लाइसेंस की भी जांच शुरू कर दी है। इस हादसे ने जयपुर में सड़क सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित परिवारों का रो-रो कर बुरा हाल है, और पूरे जयपुर शहर में इस घटना के बाद एक गहरा शोक और गुस्से का माहौल व्याप्त है। सवाल उठ रहा है कि जब नेता और रसूखदार खुद कानून की धज्जियाँ उड़ाएंगे, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा?
