
||राजगढ़||
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा लाड़ो अभियान के तहत बाल विवाह रोकने के दावों की सच्चाई जमीन पर कुछ और ही तस्वीर पेश करती है। विभाग ने मई 2024 से दिसंबर 2024 के बीच राजगढ़ जिले में 80 बाल विवाह रोकने का दावा किया था, लेकिन भास्कर की 30 से अधिक गांवों में 10 दिन की पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जिन बाल विवाहों को रोका गया बताया गया, उनमें से अधिकांश जोड़े अगली सुबह ही परिणय सूत्र में बंध गए। जांच में सामने आया कि कई मामलों में प्रशासन द्वारा विवाह रुकवाने की कार्रवाई तो की गई, लेकिन या तो उसी रात या अगली सुबह चोरी-छिपे शादियां कर दी गईं। जिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को समय पर सूचना देने और निगरानी का जिम्मा सौंपा गया था, वे भी इस जिम्मेदारी को निभाने में असफल रहीं। कुछ शादियां विभाग के ‘रोकने’ के दावों के बावजूद संपन्न हो गईं। अब एक बार फिर 14 अप्रैल से शादियों का सीजन शुरू हो रहा है और विभाग ने उड़नदस्ते बनाने की घोषणा की है। कार्यक्रम अधिकारी सुनीता यादव ने कहा कि रोके गए बाल विवाहों पर एक महीने तक निगरानी रखी जाती है। यदि इसके बाद भी शादी होती है, तो एफआईआर दर्ज कराई जाती है। हालांकि, अब तक अधिकांश मामलों में न तो एफआईआर दर्ज हुई और न ही प्रभावी कार्रवाई नजर आई।
कुछ दर्ज घटनाएं-
राजगढ़ ब्लॉक: लड़के की जन्मतिथि 12 अक्टूबर 2005 है। 28 नवंबर 2024 को शादी रुकवाई गई, लेकिन उसी रात घर में शादी कर ली गई। विभागीय सूची में इसका नाम 69वें नंबर पर है। परिवार वालों ने पुष्टि की कि शादी हो चुकी है और दोनों अब खेतों में काम कर रहे हैं।
सारंगपुर तहसील: एक गांव के दूल्हे (जन्मतिथि 10 जुलाई 2004) की शादी नवंबर 2024 में हुई। विभागीय सूची में लड़के का नाम 60वें नंबर पर है।
खिलचीपुर ब्लॉक: दुल्हन की जन्मतिथि 1 जनवरी 2006 है। शादी 28 नवंबर 2024 को हुई, जब दुल्हन की उम्र 18 साल 11 माह और दूल्हे की उम्र 20 साल थी। विभागीय सूची में दुल्हन का नाम 11वें और दूल्हे का नाम 48वें नंबर पर है।
एक अन्य मामला: दूल्हे की जन्मतिथि 19 मार्च 2006 है। शादी रुकवाई गई थी लेकिन बाद में संपन्न हो गई। सूची में इसका नाम 67वें नंबर पर दर्ज है।
जांच में बड़े घपले भी उजागर: 28 नवंबर 2024 को खिलचीपुर में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में 66 जोड़ों ने विवाह किया, जिनमें से 26 बच्चों के दस्तावेजों में उम्र कम पाई गई। परियोजना अधिकारी ने थाना प्रभारी को शिकायत भेजी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल उम्र सत्यापन तक सीमित रही। थाना प्रभारी विवेक शर्मा ने दावा किया कि सभी जोड़े बालिग थे, जबकि दस्तावेजों में हेरफेर के आरोप भी सामने आए।
मामले पर मंत्री जी का बयान :
महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा, “यदि बाल विवाह रोकने के बाद भी विवाह हो रहे हैं, तो सख्त निगरानी की जाएगी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष जिम्मेदारी दी जाएगी।”
हालांकि जमीनी हकीकत यह है कि बाल विवाह रोकने के सरकारी दावों के बावजूद प्रशासन की पकड़ ढीली है। कार्रवाई की गंभीरता और निगरानी तंत्र पर सवाल उठ रहे हैं। यदि सही समय पर सतर्कता नहीं बरती गई तो आने वाले विवाह सीजन में भी स्थिति नहीं सुधरेगी।
