
नरेंद्र मोदी सरकार ने कई कड़े फैसले लेने के बाद आज एक और नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए अपने ही सरकार के सांसद तथा विपक्ष के सांसदों को संसद भवन में लंच के दौरान खाना खाने में जो सब्सिडी दी जाती थी उस सब्सिडी को आज सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के सांसदों के द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया फैसला के अब सभी सांसद खाने पर मिलने वाली सब्सिडी को नहीं लेंगे इस निर्णय के लेने के बाद सरकारी खजाने को हर साल ₹17 करोड़ का मुनाफा होगा भारतीय संसद में आज का यह फैसला ऐतिहासिक माना जाएगा सांसदों ने आज यह ऐतिहासिक काम कर दिखाया यह फैसला लोकसभा के अध्यक्ष ओम कुमार बिरला के सुझाव के बाद सभी सांसदों ने इस पर अपनी सहमति दी और यह लागू कर दिया गया इस बात पर कई समय से सोशल मीडिया में भी मांग उठती देखी देश की जनता भी यही चाहती थी कि सांसद होना एक समाज सेवा का कार्य है और इसके लिए गरीबों के हक का खाना क्यों हिना जाता है यह सब्सिडी का पैसा गरीबों में दिया जाना चाहिए वर्ष 2012 से 2017 तक संसद की कैंटीन को 73 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा चुकी है मोदी सरकार का ऐसा मानना है कि संसद में आने वाला हर व्यक्ति आर्थिक रूप से इतना सक्षम होता है कि वह अपना खाना पूरे रेट में खा सके क्योंकि सांसद को और भी कई प्रकार के खर्चे और भत्ते सरकार की तरफ से दिए जाते हैं जिसका उपयोग संसद अपने ऊपर खर्च करते हैं सांसद विजयंत जय पांडा ने यह कहा था कि जब सरकार आर्थिक रूप से मजबूत लोगों से एलपीजी गैस सिलेंडर के ऊपर मिलने वाली चंद रुपए की सब्सिडी छोड़ने का आग्रह कर सकती है तो मोदी सरकार खुद अपने सांसदों से खाने की सब्सिडी क्यों नहीं छोड़ सकती है आज यह फैसला लेकर मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल का एक और नया कीर्तिमान भारत के इतिहास में स्थापित कर दिया गया इसका स्वागत जनता भी करने के लिए तैयार है
