जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण मतदान बदलाव का संकेत

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जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण मतदान सरकार की बड़ी उपलब्धि है। मतदान के तीनों चरण संपन्न हो चुके हैं। पिछले दस साल बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं, नतीजे जो भी हों, सरकार जिस भी पार्टी या गठबंधन की बने, लेकिन बड़ी बात यह है कि अलगाववादियों, आतंकियों और उपद्रवियों की एक नहीं चली और चुनाव आयोग ने सबसे कठिन इलाकों में भी सफलतापूर्वक चुनाव कराए। अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहला चुनाव है, जिसमें भाजपा, कांग्रेस और एनसी गठबंधन, पीडीपी और कुछ छोटी पार्टियां प्रमुखता से भाग ले रही हैं। परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटें 83 से बढ़कर 90 हो गई हैं। चुनाव के दौरान आतंकी हिंसा की आशंका थी, लेकिन सभी चरणों में मतदान शांतिपूर्ण रहा। इस बार कई ऐसे मतदाताओं ने वोट डाला जो अब तक मतदान से वंचित थे। इस चुनाव में अनुच्छेद 370 बड़ा मुद्दा है, कांग्रेस और एनसी इसी मुद्दे पर चुनाव मैदान में हैं. नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे, लेकिन ये चुनाव याद रखा जाएगा. तीनों चरणों में बंपर वोटिंग हुई है, कई जगह वोटिंग के रिकॉर्ड टूटे हैं. तीसरे चरण में 7 जिलों की 40 विधानसभा सीटों पर औसतन 65.65% वोटिंग हुई. सबसे ज्यादा उधमपुर में 72.91% और सबसे कम बारामुल्ला में 55.73% वोटिंग हुई. तीसरे चरण की 40 सीटों में से 24 जम्मू संभाग और 16 कश्मीर घाटी से हैं. तीसरे चरण में 169 उम्मीदवार करोड़पति हैं. इस चरण में संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु का बड़ा भाई एजाज अहमद गुरु भी मैदान में है. एजाज गुरु सोपोर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं. दूसरे चरण में 25 सितंबर को 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर 57.31% मतदान हुआ। अनुच्छेद 370 हटने से पहले आतंकवाद के दौर में औसतन 30% के आसपास मतदान होता था, आतंकी समूह सीधे तौर पर मतदाताओं को डराते-धमकाते थे। पहले आतंक के साये में चुनाव होते थे। आज सरकार के प्रयासों से सामान्य परिस्थितियों में चुनाव हुए हैं। मतदान का प्रतिशत बताता है कि पाक प्रायोजित आतंकवाद का कोई असर नहीं है, लोग वोट डालने के लिए घरों से निकले, स्थानीय नागरिकों ने मतदान के प्रति उत्साह दिखाया। ये नया कश्मीर है, आतंकवाद के डर से मुक्त कश्मीर। ये बदलाव सकारात्मक है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को लग रहा है कि वो भारत का हिस्सा हैं। क्षेत्र में काफी शांति है, आर्थिक गतिविधियां और पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है। जम्मू-कश्मीर में एक दूरदर्शी सरकार बननी चाहिए जो सुरक्षा, शांति और स्थिरता के लिए मजबूती से काम करे। अब पीछे जाने का समय नहीं है। अलगाववादी तत्वों को राजनीति के लिए राज्य में मजबूत होने का मौका नहीं मिलना चाहिए। नई सरकार को यह प्रयास करना चाहिए। अब सरकार को जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की संवैधानिक प्रक्रिया भी पूरी करनी है। इस खूबसूरत राज्य में नई सरकार को पर्यटन, शिक्षा, रोजगार और सर्वांगीण विकास के लिए काम करना चाहिए, लोगों की मुश्किलों को कम करने के लिए काम करना चाहिए। दरअसल, जम्मू-कश्मीर की नई सरकार को दूरदर्शी होना होगा, ताकि राज्य आतंकवाद से मुक्त हो और वहां के लोग शांति की हवा में सांस ले सकें। राज्य में विभाजनकारी और पाक समर्थक लोगों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इस विधानसभा चुनाव ने साबित कर दिया है कि कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव संभव हैं।

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