मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने सवर्णों के लिए आरक्षण में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10% आरक्षण देने की योजना पर नियमों में कुछ बदलाव कर शुरू करने का मन बना लिया है जिसमें आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण लोगों को अब सिर्फ सरकार को यह बताना होगा कि उनकी आमदनी ₹800000 से कम की है इस बात के प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने से अब सामान्य वर्ग के लोगों को भी 10% का आरक्षण मिल जाएगा यह बदलाव आरक्षण की प्रक्रिया में आ रही मुश्किलों को दूर करने के लिए किया गया है सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने यह प्रस्ताव तैयार कर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दिया गया है तथा इसके संपूर्ण हो जाने के बाद ही आरक्षण आरंभ कर दिया जाएगा यह प्रस्ताव राजस्थान सरकार की तरह लागू किया जा रहा है राजस्थान में भी गरीब सवर्णों के लिए किसी तरह का आरक्षण प्रक्रिया जारी है
पुरानी इन शर्तों को हटा लिया गया है
अभी तक आरक्षण के लिए सवर्ण गरीबों को इन नियम का भी पालन करना होता था अभी तक बनाए गए गरीब सवर्णों को दिए गए आरक्षण के लिए गरीब सवर्णों को कई प्रकार के दस्तावेज उपलब्ध कराना होते थे जो भी संभव नहीं हो पा रहा था जिसमें उम्मीदवार के पास 5 एकड़ अधिक कृषि भूमि ना हो तथा शहरी लोगों के लिए नगर निगम क्षेत्र की सीमा में 1200 स्क्वायर फीट का मकान तथा नगर पालिका क्षेत्र में 1500 स्क्वायर फिट का मकान तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 18 स्क्वायर फिट का घर ना बना हो इस प्रकार की कठिन नियमों को सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया गया है तथा इसी के साथ ही बस एक शर्त रखी है की सालाना आय
अभी प्रदेश में 73% आरक्षण प्रदेश में अभी 73% आरक्षण लागू है।
20% एसटी, 16% एससी, 27% ओबीसी और 10% आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों को। ओबीसी के 14% से बढ़ाकर 27% किए गए आरक्षण को लेकर कानून बन चुका है, इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।