
||नई दिल्ली|| भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने निष्क्रिय बैंक खातों के बढ़ते दुरुपयोग और बैंकिंग फ्रॉड की घटनाओं को देखते हुए बैंकों के लिए कड़े नियमों का मसौदा जारी किया है। इस मसौदे के तहत बैंकों को इन खातों की निगरानी बढ़ाने, समय-समय पर समीक्षा करने और खाताधारकों से संपर्क बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। RBI ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी खाते में दो वर्षों तक कोई लेनदेन नहीं होता है, तो उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाएगा। हाल के वर्षों में देशभर से इस तरह की रिपोर्टें सामने आई हैं कि साइबर ठगों ने निष्क्रिय खातों का इस्तेमाल कर ग्राहकों के खातों से फर्जी तरीके से रकम ट्रांसफर की है।
जनधन खातों में बढ़ती निष्क्रियता
नवंबर 2024 के आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत खोले गए खातों में से लगभग 11.30 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं। यानी हर पांचवें जनधन खाते में कोई गतिविधि नहीं हो रही है। आरबीआई इस आंकड़े को चिंता का विषय मान रहा है।
RBI के नए मसौदे के अनुसार, बैंकों को उन सभी खातों की हर वर्ष समीक्षा करनी होगी जिनमें पिछले 12 महीनों से कोई लेन-देन नहीं हुआ है। इसके अलावा, उन्हें ग्राहकों से संपर्क करने के लिए हर संभव माध्यम (पत्र, ई-मेल, कॉल आदि) का प्रयोग करना होगा। यदि खाता निष्क्रिय घोषित होता है और ग्राहक उसे दोबारा सक्रिय कराता है, तो बैंक को कम से कम छह महीने तक उस खाते की गतिविधियों पर नजर रखनी होगी। साथ ही, ऐसे खातों में जमा राशि का अलग से ऑडिट किया जाएगा ताकि धोखाधड़ी की संभावना को खत्म किया जा सके।
ग्राहक को राहत, शुल्क नहीं लगेगा
RBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि निष्क्रिय खाता होने की स्थिति में:
-
ब्याज का भुगतान जारी रहेगा।
-
कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
-
खाता दोबारा चालू करने पर भी कोई शुल्क नहीं लगेगा
संपर्क न होने पर होगी जांच
यदि बैंक द्वारा भेजा गया पत्र वापस लौटता है या ग्राहक से संपर्क नहीं हो पाता, तो बैंक को खाताधारक की पहचान की पुष्टि करने के लिए जांच प्रक्रिया शुरू करनी होगी। अगर खाताधारक की मृत्यु हो चुकी हो, तो बैंक को नामित व्यक्ति की पहचान कर आगे की कार्रवाई करनी होगी।
RBI ने इस मसौदे को सार्वजनिक करते हुए आम नागरिकों से सुझाव भी मांगे हैं। माना जा रहा है कि जनता और बैंकों की प्रतिक्रियाएं मिलने के बाद अगले छह महीनों में यह नियम लागू कर दिए जाएंगे। RBI का कहना है कि इन नए नियमों से बैंकों की जिम्मेदारी बढ़ेगी, खातों की निगरानी सख्त होगी और बैंकिंग प्रणाली में ग्राहकों की सुरक्षा और विश्वास दोनों में इजाफा होगा।
