ग्वालियर पुलिस ने कथावाचक पुष्पेंद्र दीक्षित को पकड़ा है। वह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का व्यक्तिगत सहायक (पीए) बनकर मध्यप्रदेश के डीजीपी सुधीर सक्सेना को शिवपुरी और गुना जिलों के दो निरीक्षकों के तबादले के लिए फोन और वाट्सएप पर मैसेज भेज रहा था। उसने बार-बार केंद्रीय मंत्री का नाम लिया और खुद को उनका पीए जयकिशन बता रहा था। डीजीपी को संदेह हुआ तो उन्होंने गोपनीय तरह से उन नंबरों की पड़ताल कराई, जिनसे उन्हें फोन और मैसेज आ रहे थे। यह नंबर ग्वालियर का निकला तो ग्वालियर के पुलिस उच्चाधिकारियों ने जांच कराई। जब स्पष्ट हो गया कि यह नंबर केंद्रीय निरीक्षकों के तबादले का बना रहा था दबाव, कथावाचक गिरफ्तार मंत्री के पीए का नहीं है तो कथावाचक पुष्पेंद्र को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। उसने दोनों निरीक्षकों के तबादले के लिए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का पीए बनकर डीजीपी को फोन करने की बात स्वीकारी।सिफारिश करवाने वाले शिवपुरी और गुना के दो निरीक्षक निलंबितःकथावाचक पुष्पेंद्र दीक्षित ने शिवपुरी जिले में कार्यरत थाना प्रभारी बैराड़ विनय यादव और गुना जिले के जामनेर थाने के टीआइ पंकज त्यागी के तबादले की सिफारिश की थी।डीजीपी पर दबाव बनाने के लिए इस जालसाज ने अलग अलग नंबरों से कई मैसेज किए. इन सभी मैसेज में खुद को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का पीए जयकिशन बताया. कहा कि मंत्री जी चाहते हैं कि शिवपुरी में तैनात इंस्पेक्टर विनय यादव और गुना जिले में तैनात इंस्पेक्टर पंकज त्यागी का तबादला ग्वालियर किया जाए. इस जालसाज ने एक के बाद एक जब लगातार कई मैसेज कर दिए तो डीजीपी को शक हुआ कि एक केंद्रीय मंत्री को दो इंस्पेक्टरों के तबादले में इतना इंट्रेस्ट क्यों है.डीजीपी ने खुद केंद्रीय मंत्री से कंफर्म किया. पता चला कि केंद्रीय मंत्री ना तो किसी जयकिशन नाम के आदमी को जानते हैं और ना ही इन दोनों इंस्पेक्टरों से परिचित हैं. इसके बाद डीजीपी ने पुलिस को अलर्ट किया और आरोपी के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर डालकर उसकी लोकेशन निकलवाई. पता चला कि आरोपी ग्वालियर में मौजूद है. इसके बाद पुलिस टीम ने दबिश देकर आरोपी को उसके ठिकाने से दबोच लिया. पूछताछ में आरोपी ने खुद की पहचान ग्वालियर में ही टेकनपुर के रहने वाले पुष्पेंद्र दीक्षित के रूप में बताई.
Publishers Advertisement