कोरोना महामारी के भारत में आने के बाद से अब तक सबसे प्रभावित शहरों की सूची में देश के कुछ जिले ही शामिल थे। इससे ऐसा लग रहा था कि भारत के सबसे प्रभावित 10 जिले ही इस संकट का केंद्र बने हुए हैं, लेकिन चिंताजनक सच ये है कि महामारी का प्रकोप काफी तेजी से इन शहरों से परे फैल गया है और अब छोटे शहर और ग्रामीण इलाके प्रभाव में आ रहे हैं। तीन महीने पहले यानी 8 मई तक मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, पुणे, ठाणे, इंदौर, जयपुर और जोधपुर भारत के सबसे प्रभावित जिलों में से थे। तीन महीने बाद यानी 8 अगस्त तक इस सूची में थोड़ा बदलाव आ चुका है। चेन्नई के साथ-साथ मुंबई और उसके पड़ोसी जिलोंमें तो लगातार केस बढ़ रहे हैं, लेकिन अब आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी, बेंगलुरु और कोलकाता सहित देश के अन्य बड़े जिलों ने टॉप 10 में जगह बना ली है। पुणे, चेन्नई और ठाणे में एक-एक लाख से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। शनिवार को इन 10 सबसे प्रभावित जिलों में कुल मिलाकर 6.27 लाख कोरोना केस थे। भारत के 10 सबसे प्रभावित जिलों में अब हर महीने केस दोगुने हो रहे हैं, लेकिन अगर भारत के कुल कोरोना केस के आंकड़ों को देखें तो टॉप 10 जिलों का शेयर घट रहा है। जून की शुरुआत तक भारत के कुल केस में टॉप 10 सबसे प्रभावित जिलों का शेयर करीब 50 फीसदी था। पिछले महीने तक ये 40 फीसदी था। अगस्त के पहले ह ते तक टॉप 10 जिलों का शेयर 30 फीसदी ही रह गया। ऐसा इसलिए योंकि महामारी अब देश के दूरस्थ इलाकों में फैल रही है। 8 अगस्त तक अरुणाचल प्रदेश में तीन जिले ऐसे थे, जहां अभी तक एक भी केस दर्ज नहीं किया गया है। भारत में अब तीन जिले- पुणे, चेन्नई और ठाणे- ऐसे हैं, जहां एक- एक लाख से ज्यादा केस हैं।
महानगरों के बाद अब ग्रामीण इलाकों की तरफ पांव पसार रहा कोरोना
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