बैरसिया।नगर में हुआ भव्य एक दिवसीय श्री 1008 शांतिनाथ विधान एक ही दिन,
एक ही समय, एक ही राशी में, एक ही काल में हजारों लोगों का जन्म होता है, पर उन लोगों में कोई अमीर कोई गरीब, कोई राजा कोई प्रजा बनता है। सब एक जैसे नहीं होते, ना ही एक जैसा किसी को भव मिलता है। अपने पिछले जन्मों के कर्म के फल के आधार पर ही अपने इस भव में आप क्या बनेंगे क्या होंगे ये निर्भर करता है। ये बात आचार्य श्री 108 आर्जव सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनिश्री विशोध सागर महाराज ने कही। श्री 1008 शांतिनाथ विधान के कार्यक्रम के दौरान मुनिश्री ने आगे अपनी बात एक कहानी के माध्यम से समझाई, कि कैसे पिछले भव के चार भाइयों में से एक राजा बना, वाकी कोई अंगारे खा रहा, तो कोई जन्म लेते ही भूखा मर गया। आप के कैसे परिणाम है, कैसे सोचते हैं, कैसे किसी के प्रति व्यवहार रखते हैं, उस पर निर्भर करता है कि आप अगले जनम में, या आगे अपने जीवन काल में कैसे जीने वाले हैं, क्या बनने वाले हैं।
हुआ संगीतमय शांतिनाथ विधान
संत शिरोमणी आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज, आचार्य श्री 108 आजर्व सागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं मुनिश्री 108 विशोध सागर जी महाराज के सान्निध्य में नगर के जैन कॉलोनी में स्थित महावीर जिनालय में स्थित संयम भवन प्रांगण में श्री 1008 शांतिनाथ विधान का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का कुशल निर्देशन भोपाल के प्रसिद्ध बाल ब्रह्मचारी सुमत भैया और नगर के बा. ब्र. विशाल भैया ने किया। विधान में भाग लेने वाले पात्रों का चयन बोली के माध्यम से हुआ जिसमें 4 प्रमुख इन्द्र का चयन बोली के माध्यम से किया गया। वहीं श्री जी को शांतिधारा करने के लिए भी दो पात्रों का चयन किया गया। इस कार्यक्रम में औरंगाबाद, भोपाल, सीहोर, आरोन और समस्त जैन समाज बैरसिया के श्रावक श्रविका उपस्थित रहे।