आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित गरीब बच्चों को कक्षाओं में पढ़ाने से मनाही करने वाले प्रायवेट स्कूल संचालकों पर कार्रवाई का क्रम शुरू हो गया है। अभिभावकों की शिकायत पर राज्य शिक्षा केन्द्र ने राजधानी के एक निजी स्कूल को मान्यता समाप्ति का नोटिस जारी किया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि अगर बच्चे को नियमित रूप से अध्यापन नहीं करवाया गया तो विद्यालय की मान्यता समाप्त की जाएगी।
राज्य शिक्षा केन्द्र में आरटीई कंट्रोलर रमाशंकर तिवारी ने भोपाल के बागसेवनिया स्थित अशासकीय एनआरआई ग्लोबल डिस्कवरी स्कूल को यह नोटिस जरी किया है। श्री तिवारी का कहना है कि कुमारी प्रतिमा यादव पुत्री राकेश यादव का प्रवेश आरटीई के अंतर्गत इस विद्यालय में वर्ष 2016 में हुआ था। जिसमें वह पिछले चार वर्ष से निरंतर अध्ययन कर रही है। उसका नाम आरटीई पोर्टल पर फीस प्रतिपूर्ति हेतु तकनीकी समस्या के कारण प्रदर्शित नहीं हे रहा है। जिसके कारण स्कूल संचालक ने उक्त छात्रा को पढ़ाने से साफ इंकार कर दिया है।
स्कूल संचालक का उक्त कार्य आरटीई अधिनियम 2009 के प्रावधानों का उल्लंघन है। उक्त छात्रा के अभिभावक ने राज्य शिक्षा केन्द्र में आकर अपनी समस्या से अवगत कराया है। श्री तिवारी ने नोटिस पत्र में उल्लेख किया है कि छात्रा की पढ़ाई नियमित रूप से रखी जाए। फीस प्रतिपूर्ति में आने वाली समस्या के संबंध में पृथक से पत्राचार करें। अन्यथा की स्थिति में आरटीई अधिनियम 2009 के प्रावधानों के तहत नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जिसके लिए स्कूल संचालक स्वयं उत्तरदायी होगा। इस प्रकार की मनमानी करने पर सीधे स्कूल की मान्यता समाप्त होगी।
हर जिले में बच्चों के अध्यापन पर नजर
आरटीई कंट्रोलर रमाशंकर तिवारी ने इस गंभीर मुद्दे पर मौखिक रूप से बताया कि प्रदेश में जितने बच्चों का आरटीई के अंतर्गत प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश हुआ है। उनके अध्यापन पर राज्य स्तर से बारीकी से नजर रखी जा रही है। सभी डीपीसी को पहले ही निर्देशित कर दिया गया है कि अगर इस तकनीकी समस्या के कारण कोई स्कूल संचालक आरटीई में प्रवेशित बच्चों को पढ़ाने से इंकार करता है तो सीधे उसकी मान्यता समाप्ति की प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी को भेजा जाए।