पाकिस्तान में पहली बार हिन्दू विवाह अधिनियम लागू, आजादी के 75 साल बाद दी हिंदू शादियों को मान्यता

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इस्लामाबाद. हिन्दुओं को अपने रीती-रिवाजों के अनुसार षादी करने की आजादी पाकिस्तान में आजादी के लगभग 75 सालों बाद मिली है। पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दु लंबे समय से इस कानून के क्रियान्वयन की मांग करते आ रहे थे, जिस पर अब अमल होता दिख रहा है। पाकिस्तान में हिन्दु मैरिज अधिनियम 2017 बनाए जाने के पांच सालों बाद राजधानी इस्लामाबाद में इसे लेकर नियम अधिसूचित किए गए हैं। इन नियमों को इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र हिंदू विवाह नियम 2023 का नाम दिया गया है।
अब सभी विवाहों को किया जाएगा पंजीकृत
पाकिस्तान में अब तक जिस तरह मुस्लमानों के लिए पंजीकृत निकाह-खावां होते हैं उसी तरह यूनियन परिषद भी पंजीकृत ‘पडित़’ को विवाह प्रमाण पत्र जारी करेंगे। सभी विवाह संघ परिषदों में भी पंजीकृत होंगे।
सांसद को भी सता रहा धर्मांतरण का डर ;- पाकिस्तान में हिन्दुओं के हालात क्या है इसका अंदाजा इससे लगा सकते है कि हाल ही में पाक संसद में हिन्दु सांसद दानेश कुमार ने कहा था कि उनसे भी बार-बार कलमा पढ़कर इस्लाम अपनाने को कहा जाता है।
नियमों को पूरे देष में जल्दी मिलेगी मानयता
हिन्दुओं के विवाह से जुड़े इन नियमों को फिलहाल राजधानी इस्लामाबाद में ही लागू किया गया है, लेकिन इसे अभी एक षुरूआत माना जा रहा है। इन नियमों को इस्लामाबाद की सभी संघीय परिषद के पास क्रियान्वयन के लिए भेज दिया है। माना जा रहा है कि जल्दी ही पंजाब, खैबर , पख्तूनवा ,ब्लूचिस्तान और पाकिस्तान के बाकी राज्यों में भी यह नियम लागू किए जाएगें। कुछ विशेष जानकारों के अनुसार ,पाकिस्तान के सभी राज्य हिन्दू विवार के लिए अलग नियम बनाएं, इसके बजाए तकनीकी और राजनीतिक रूप से यही सही होगा कि पाक के दूसरे इलाकों में भी इन्हीं नियमों को लागू कर दिया जाए और इन्हें मान्यता दे दी जाए।
शादी के साथ ही तलाक के नियमों को भी तय
इन नए नियमों में विवाह के साथ-साथ इससे जुड़े विवादों को सुलझाने या तलाक की प्रक्रिया को भी तय किया गया है। इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र हिंदू विवाह नियम 2023 में नियमों की धारा 7 के अर्न्तगत हिन्दुओं को पश्चिमी पाकिस्तान परिवार न्यायालय अधिनियम 1964 के तहत विवाह की समाप्ति के लिए भी प्रावधान हैं।
शादी कराने वाले पंड़ितों की नियुक्ति इस प्रकार होगी
अब पाकिस्तान की राजधानी के सभी यूनियन परिषदों को हिन्दओं की शादी के लिए एक पंड़ित पंजीकृत करना होगा। यहां पर कोई भी ऐसा हिंदू पुरूष पंड़ित बन सकेगा जिसे हिन्दुत्व की पर्याप्त जानकारी हो । इन पंड़ितों की नियुक्ति तभी हो सकेगी जब इसे स्थानीय पुलिस से चरित्र प्रमाण पत्र मिला हो।
असुरक्षा के कारण इस्लामाबाद भाग रहे हिन्दु
पाकिस्तान में नेशनल लॉबीइंग डेलिगेशन फॉर माइनोरिटी राइट ;एनएलडीद्ध ने इन नियमों को पारित करवाने में विशेष भूमिका निभाई है। एनएलडी सदस्य जय प्रकाश के अनुसार, पिछले एक दशक में सुरक्षा चिंताओं के कारण बलूचिस्तान, सिंध और पख्तूनख्वा से हिन्दु बड़ी मात्रा में इस्लामाबाद आए हैं।
सरकार तय करेगी विवाह की फीस , रिकॉर्ड सहेजेंगे पंड़ित
विवाह अधिनियम के तहत, नए नियमों के अनुसार जिन पंड़ितों को सरकार ने नियुक्त किया है वे सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क के अलावा विवाह को सम्पन्न कराने के लिए अलग से कोई पैसा नहीं लेंगे। यदि किसी महाराज की मृत्यु हो जाती है या उसका लाइसेंस रद्द हो जाता है तो इस स्थिति में ,उसके द्वारा रखा गया विवाह का समस्त रिकार्ड संबंधित यूनियन को प्रस्तुत किया जाएगा, इस रिकार्ड को बाद में उसके उत्तराधिकारी को सौंप दिया जाएगा। रिकार्ड के मुताबिक पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिन्दुओं की बड़ी आबादी रहती है अब तक केवल यही पर 18 वर्ष से अधिक आयु के हिन्दु पुरूषों और महिलाओं को अपने विवाह को पंजीकृत कराने के लिए कानून बना था।

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