कांग्रेस में सर्वे और विरोध के बाद भी जमकर चली रिश्तेदारी और परिवारवाद टिकट बंटवारे में सबसे ज्यादा दिग्विजय की चली,

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कांग्रेस में विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में जमकर रिश्तेदारी चली है। सर्वे और विरोध के बाद ही आला कमान को गुमराह करते हुए जीताऊ घोषण कर टिकट दिलाया गया है। कांग्रेस ने अपने करीब 40 नाते-रिश्तेदारों को मैदान में उतार दिया है। परिवारवाद में कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सबसे आगे निकले हैं। जिनके बेटे भाई-भांजे-भतीजे और दूर के रिश्तेदार हैं तो नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भी इसमें पीछे नहीं हैं।

कांग्रेस ने अपने 229 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। जिसमें से करीब 20 फीसदी टिकट नेताओं के रिश्तेदारों के नाम चले गए हैं। सालों से मैदान में धरना प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ता ठगे गए हैं। इसका खुलासा भी टिकट बंटवारे के बाद हुआ है। पहली और दूसरी सूची के बाद कार्यकर्ता और दावेदारों ने खुलकर कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिनमें पीसीसी चीफ कमलनाथ के सलाहकार प्रवीण कक्कड़ भी हैं। उनके रिश्तेदार धर्मेश घई सतना की मैहर सीट से टिकट लेने में कामयाब हो गए हैं। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आ रहे नारायण त्रिपाठी को टिकट देने की लगभग पूरी पटकथा लिखी जा चुकी थी। मगर वे राजनीति के ऐसे शिकार हुए कि उन्हें टिकट नहीं दिया है। त्रिपाठी के खिलाफ पूर्व सीएम बेटे ने प्लानिंग की और दिग्विजय सिंह ने वीटो लगा दिया। प्रदेश अध्यक्ष भी परिवारवाद ने अलग नहीं है। चुनाव में अब वे छिंदवाड़ा से विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी हैं। उनके बेटे नकुलनाथ यहीं से सांसद हैं।

विधानसभा चुनाव टिकट पाने वाले नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी और दूर के रिश्तेदारों में से भाई लक्ष्मण सिंह को चांचौड़ा, बेटे जयवर्द्धन सिंह को राघौगढ़, भतीजे प्रियव्रत सिंह को खिलचीपुर, सिंधू विक्रम सिंह को शमसाबाद व घनश्याम सिंह को सेवढ़ा से टिकट मिला है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करने के बाद एक बार फिर चुनाव मैदान में उतर गए हैं और उन्होंने अपनी समधन चंदा सिंह गौर को खरगापुर और भांजे राहुल सिंह भदौरिया को मेहगांव से टिकट दिला दिया है। इसी तरह पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्वर्गीय सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत कटारे को तीसरी बार अटेर से टिकट मिला है। भिंड से चुनाव में उतारे गए चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के पिता भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं और उनके एक भाई मुकेश चतुर्वेदी भाजपा में हैं। दिग्विजय सिंह ने रिश्तेदारों को टिकट दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रदेश अध्यक्ष नाथ को चकमा दे दिया। इसका उदाहरण वीरेंद्र रघुवंशी के टिकट कटने से लगाया जा रहा है।

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