लावारिस लाशों के मसीहा मोहम्मद शरीफ पद्मश्री से सम्मानित

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ये हैं मोहम्मद शरीफ जिन्हे समाज सेवा के क्षेत्र मे 71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मश्री से सम्मानित किया गया। साइकिल मिस्त्री से लावारिस लाशों के मसीहा बने मोहम्मद शरीफ के जीवन का सफर बड़ा दर्दनाक है।
मोहम्मद शरीफ पिछले कई सालों से बिना किसी प्रकार के धार्मिक भेदभाव के लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। लावारिस लाशों के मसीहा के रुप में मशहूर मोहम्मद शरीफ आज भी किराए के मकान में जीवन यापन कर रहे हैं। उनका मकान भी बेहद जर्जर और टीन शेड का है।

मुहम्मद शरीफ ने कहा कि 27 साल पहले, सुल्तानपुर में मेरे बेटे की हत्या कर दी गई थी और मुझे इसके बारे में एक महीने बाद पता चला। उसके बाद, मैंने इस काम को अपने हाथ में ले लिया। उन्होंने 3000 हिंदुओं और 2500 मुसलमानों के शवों का अब तक अंतिम संस्कार किया है। उनका कहना है कि वह किसी तरह जीवन बीता लेंगे लेकिन यह काम नहीं छोडे़ंगे।

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