नेहरू की मर्जी से हुआ था कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा :पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग

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Agency (Jammu and Kashmir )जम्मू एंड कश्मीर के पूर्व में उप मुख्यमंत्री रहे मुजफ्फर हुसैन बेग ने पूर्व(Prime Minister)प्रधानमंत्री( Jawaharlal Nehru) जवाहरलाल नेहरू पर एक संगीन आरोप लगाते हुए कहा है कि(Two Nation theory) टू नेशन थ्योरी के तहत जब वीर सावरकर या जिन्ना की मर्जी थी कि ऐसा कुछ नहीं करने की यह अंग्रेजों की थ्योरी थी की जिसके कारण भारत का बंटवारा हुआ और अंग्रेज भारत को नहीं बांटते तो आज दुनिया का सबसे ताकतवर राष्ट्र भारत होता इस बात का असर कई देशों पर भी होता जिसमें अफगानिस्तान ईरान और रूस शामिल थे इस बात का खुलासा(PDP) पीडीपी(People’s Democratic Party)(पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) के संरक्षक तथा पूर्व में जम्मू एंड कश्मीर की सरकार में रहे उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन देखने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर आरोप लगाते हुए तथा उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू एंड कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की मर्जी से हुआ था पंडित नेहरू की ही मर्जी से जम्मू एंड कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि कश्मीर मसले के हल्की बात यह है कि इसके पहले पाकिस्तान के यहां बंदूक वालों को भेजना और इमानदारी से भारत के साथ बात करने की प्रक्रिया शुरू करें जिसके कारण इस मसले का हल निकाला जा सके

दुखद था कश्मीरी पंडितों का पलायन 

बेग ने कहा कि कश्मीरी पंडितों का पलायन अत्यंत दुखद है। वे जब यहां से निकले तो घरों के दरवाजे खुले थे। मंदिरों पर आज भी ताला है, उनकी स्थिति ठीक नहीं है। कश्मीर का इस्लाम तो सूफीवादी है, बहावी इस्लाम नहीं था, लेकिन सन 1990 में सबकुछ बदल गया। हम चाहते हैं कि यह लोग वापस आएं। जब मैं मंत्री था तो मैंने प्रयास किया था और मेरा यकीन है कि कश्मीरी पंडित, भारत सरकार, जम्मू के डोगरा और कश्मीर के मुस्लिमों व यहां के प्रशासन को मिलकर प्रयास करना होगा तभी कश्मीरी पंडित घाटी लौट सकेंगे।

विवादास्पद मुद्दे पर तीसरा पक्ष नहीं 

कश्मीर में विदेशी राजनायिकों के दौरे और कश्मीर मसले के समाधान संबंधी सवाल के जवाब में बेग ने कहा कि कुछ समय पूर्व कुछ विदेशी राजनियकों ने मुझसे इस मुद्दे पर बातचीत की थी। मैंने उन्हें कहा था कि शिमला समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ही पाकिस्तान ने अपने बंदी सैनिकों को भारत से छुड़वाया था। समझौते में सभी विवादास्पद मुद्दों पर तीसरे पक्ष को नकारा गया है।

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