कोई भी फिल्म बनते ही उस पर विवाद आ जाए तो उस फिल्म को लोग और लगन से देखने की कोशिश करते हैं ऐसा ही वाकया विधु विनोद चोपड़ा की आने वाली फिल्म शिकारा दा अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीरी पंडित पर आया है यह फिल्म अभी रिलीज भी नहीं हुई कि कश्मीर के ही कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस पर विवाद करना शुरू कर दिया है इन लोगों का मानना है कि इस फिल्म में सच्चाई नहीं दिखाई गई है कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी यह फिल्म शिकारा को लेकर कश्मीर के लोगों ने इस फिल्म को लेकर कश्मीर के अदालत में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि इस फिल्म में मूल तत्वों से छेड़ कर इस फिल्म को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा पर आरोप लगाते हुए कहा है
What if you were forced to hide your identity to save your life?
4 DAYS TO GO!#HumWapasAayenge #VidhuVinodChopra #Shikara @foxstarhindi pic.twitter.com/9rj9Lcmmh0
— Vidhu Vinod Chopra Films (@VVCFilms) February 4, 2020
कि इस फिल्म को जम्मू एंड कश्मीर में बैन किया जाए इस फिल्म का जम्मू एंड कश्मीर में प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की याचिका को अदालत में दया की है तथा जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इस फिल्म का आम कश्मीरियों को गलत तरीके से दिखाया गया है इस फिल्म में 1989 के अंत और 1990 की शुरुआत में कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी को फिल्म में दर्शाया गया है और इस फिल्म को खुद कश्मीरी पंडितों की व्यथा को सुनने के बाद इस कहानी के लेखक अशोक पंडित ने भी दावा किया है
कश्मीरी पंडितों पर फिल्म बनाना और बहुसंख्यक आबादी पर सवाल नहीं उठाना जो आतंकवादियों के समर्थन में निकले थे। 19 जनवरी को। को क्लीन चिट देने जैसा है।
पीड़ितों और आतंकवादियों द्वारा पीड़ित को गले लगाने के लिए खेद व्यक्त करना पीड़ित एक बड़ी चुनौती है और असंभव है।
Making a film on #KashmiriHinduExodus & not questioning the majority population who came out in support of terrorists esp. on 19th Jan. Is like giving a clean chit to #AjmalKasab.
Victim saying sorry to trrsts & and terrorisists hugging the victim is a big farce & impossible.— Ashoke Pandit (@ashokepandit) January 21, 2020
कि इस फिल्म में एक एक बात तथ्यों पर आधारित और सच्चाई से भरी हुई है और पंडित ने भी अपने ट्वीट में कहा है कि मैं खुद एक कश्मीरी पंडित हूं और इस बात की सच्चाई मेरे से ज्यादा कौन जान सकता है कि जो मैंने और मेरे परिवार ने उस समय वहां पर जो भोक्ता था इस फिल्म में किसी भी तरह की कोई सत्य के तरफ से किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है यह फिल्म एकदम सत्य घटनाओं पर आधारित है