जन्माष्टमी सर्वार्थ सिद्धि योग इसमें योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपने से मनोकामनाएं पूरी होंगी।

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर इस बार भी भक्तों में असमंजस की स्थिति है। जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाई जाए या 12 अगस्त को, इसे लेकर स्मार्त और वैष्णव मत वाले उलझ रहे हैं। इसका कारण है अष्टमी तिथि का दोनों दिन होना। 11 अगस्त को अष्टमी तिथि प्रात: 9.07 बजे से प्रारंभ होगी जो अगले दिन 12 अगस्त को प्रात: 11.18 बजे तक रहेगी। चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में 12 बजे हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाए यह बड़ा सवाल है। इस उलझन को दूर करने के लिए विभिन्न मतानुसार जन्माष्टमी दोनों दिन मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार इस बार भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 11 अगस्त 2020 मंगलवार को प्रात: 9.07 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 12 अगस्त बुधवार को प्रात: 11.18 बजे तक रहेगी। 11 अगस्त को भरणी नक्षत्र मध्यरात्रि के बाद 00.55 बजे तक रहेगा। इसके बाद कृतिका नक्षत्र प्रारंभ होगा जो 12 अगस्त को मध्यरात्रि के बाद 3.25 बजे तक रहेगा। इसके अलावा कार्यों में सिद्धि देने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग 11 अगस्त की रात 12:53 बजे से शुरू होकर 13 अगस्त को सुबह 6:04 बजे समाप्त होगा। इस प्रकार 12 अगस्त को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। चार खास संयोग में 12 अगस्त को मनाना श्रेष्ठ :12 अगस्त को चार विशेष संयोग बन रहे हैं। सर्वार्थसिद्धि योग, वृषभ का चंद्रमा, बुधवार का दिन और सूर्य उदय की अष्टमी। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय ये चार संयोग थे। इसके अलावा एक और संयोग नक्षत्र का था। भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार यह नक्षत्र दोनों ही दिन नहीं आ रहा है। लेकिन चार संयोगों का होना इस बात की पुष्टि करता है कि जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाना ही श्रेष्ठ और शास्त्र समत है। हालांकि स्मार्त मत को मानने वाले लोग 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे और वैष्णव मत को मानने वाले 12 अगस्त को मनाएंगे। वैसे उदय तिथि के अनुसार व्रत-त्योहार मनाना शास्त्र समत माना जाता है और उदय तिथि अष्टमी 12 को ही है। श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा गया है। इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपने से मनोकामनाएं पूरी होंगी।

 

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